भावनायें जो नदियों की तरह बहा करती थीं , बर्फ़ सी जमी हैं सीनों में , इंसानियत की परिभाषा बदल सी गयी है, राजनीति और […]
Read moreCategory: Poetry Hindi
एक परिंदा उड़ने को था !
कल ही तो तिनका जोड़ा था ,चुन के एक सुरक्षित कोना , पेड़ की ऊंची डाली पर , बनाया एक घोंसला छोटा था। […]
Read more….पता ही नहीं चला !
जीवन ने एक अजीब सी करवट ले ली है, कुछ एक दशक की बात है बस , दिलों से किताबों और फिर कब, इंटरनेट के […]
Read more…फ़िर पुराना साल बना देते हो !
चार -छः दिवस हुए जबसे तुमने ‘नये ‘ का नाम दिया, मैं तो निरंतर हूँ , नया या पुराना कहाँ , किसकर कहूं , […]
Read moreइस बार मनानी है दिवाली -कुछ ख़ास वाली
बहुत काम है – थोड़े से ही दिन तो हैं अब, सफाई करनी है- वो गहराई वाली, दिलों के कोनों में लगे गिले-शिकवों के […]
Read moreजी लो न ये पल भी ज़रा !!
पुरानी जींस और गिटार की बातें ,छत पर चाय और दोस्तों का साथ , ग़ुम हो गए हैं हम, बीते पलों की चादर […]
Read moreउम्र: बढ़ती सी -थोड़ी खिलती सी।
उम्र की लम्बी होती लकीरों पर संतुलन बनाना सीख लिया है भावनाओं ने, परेशानियों की ज़मीन पर उगने लगा है, महकता सा फूल […]
Read moreप्रकृति
मेघों की टोकरी में आया था उपहार उसका, धनक की करधनी और बारिश की बूंदों के झुमके, लरजते झरनों के साथ अटखेली करती, संदेसा भेजा […]
Read moreApna Asmaan banana baaki hai
Indradhanush ko Mutthi mein bharkar, Holi ke rang banana baaki hai. Phoolon ke parag ko, Oss ki boondon se goondhkar, Khushiyon ki pooriyan talni hai […]
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